दोस्त (Friend)

  


  (दोहे)

रखिये ऐसा दोस्त जो,

नीम की भांति होय ।

कड़वा-कड़वा बोल के,

सद्गुण तुझ में बोय ।।


दोस्त भले ही कम रखें,

पर हो सच्चा यार ।

संकट में जब तुम पड़ो,

तुझको लेय उबार ।।


कृष्ण गर तुम बने कभी,

नहीं सुदामा भूल ।

दोस्त मुश्किल से मिलते,

करिये बात कबूल ।।


अवगुण अपने दोस्त के,

मुख पर बोलो यार ।

पीठ बड़ाई तुम करो,

उत्तम यही विचार ।।


जो भी तेरे राज हैं,

मन में रक्खे गोय ।

जो आपसे नहीं जले,

दोस्त असल में होय ।।


रिश्ता दोस्ती का यहाँ,

क्षीर-नीर का संग।

नींबू-सी खटास मिले,

रिश्ता होते भंग।।

   ✒© विनय कुमार बुद्ध

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25 टिप्पणियाँ

  1. Most veryevail poem
    Bahut hi sunder poem sir

    Dosty to God Krishana &God Balram ki tarah ho ..

    Dosty to gam se h ..
    Dosty to sanam se h..
    Ae dosty hum nahi torege
    Ae dosty mere gam se h ..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर कविता सर जी!

    🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद जी, पसंद आने पर अपने दोस्तोंं में शेयर कीजिए

      हटाएं
  3. बहुत ही अदभूत कविता सर जी 💐💐💐💐💐

    जवाब देंहटाएं
  4. एक सही दोस्त के होने से जीवन दोष मुक्त हो जाता है।
    बहुत ही सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छी व बिलकुल सही परिभाषा है दोस्ती की।

    जवाब देंहटाएं
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