माँ के चरणों में बसे,
चारों तीरथ धाम ।
याद करूं मैं भी तुझे,
माता आठों याम ।।
माँ धरती माँ स्वर्ग है,
माँ ही है आकाश।
गम की रात दूर करे,
देती मात प्रकाश।।
माँ ममता की मूर्ति है,
जिसकी कृपा महान।
बच्चों को देती सदा,
दुग्ध का अमृतपान।।
बनकर देवी त्याग की,
कष्ट सहे तूं रोज ।
ईश्वर को जो खोजता,
इनके मुख में खोज।।
आये इस संसार में,
माँ के पुण्य प्रताप ।
माँ की तुम सेवा करो,
दूर होय संताप ।।
रखकर अपने कोख में,
कष्ट सहे दिन-रात।
मैं तेरी संतान हूँ,
सदा गर्व की बात।।
सबको मिलती है यहाँ,
माँ से पहली सीख।
दूजा कोई न जग में,
तुम सा नहीं सरीख।।
बोझ कभी माँ तूं नहीं,
तुम हो पुण्य प्रसाद।
ईश्वर से पहले तुझे,
मात करूँ मैं याद।।
✒ © विनय कुमार बुद्ध
15 टिप्पणियाँ
Beautiful
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंबहुत ही अदभुत कविता सर जी🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
हटाएंbhut hi sundar heart touching poem aapko saadar parnaam vinay sir .
जवाब देंहटाएंform.....Ramjash saini
दिल से धन्यवाद प्रियवर
हटाएंAti Sunder
जवाब देंहटाएंDhanyawad
हटाएंसर,बहुत हीं सुन्दर रचना।सभी माताओं को कोटि कोटि प्रणाम।माँ जग में सबसे महान है।🙏
जवाब देंहटाएंदुनिया की सभी माताओं को नमन प्रणाम
हटाएंहृदयतल से आभार
जवाब देंहटाएंBhut sunder Sir��
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी, इसी तरह आप मेरी रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहें
हटाएंमर्मस्पर्शी कविता।
जवाब देंहटाएंआभार
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