(बाल कविता)
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हाथी मामा अकड़ू थे,
अपनी मन की करते थे,
नानी जी समझाती पर,
नहीं किसी की सुनते थे।।
घर का खाना छोड़-छाड़,
उल्टा-पुल्टा खाते थे ।
हरी सब्जी, सलाद छोड़,
पिज्जा-बर्गर खाते थे ।।
देर रात तक जगकर वो,
बिस्तर पर हीं पढ़ते थे।
दिन चढ़ने तक वो सोते,
बड़ी देर से उठते थे ।।
समय परीक्षा का आया,
तबियत उनकी बिगड़ गई।
डॉक्टर ने दवा खिलाई,
फिर उनको सुई लग गई।।
एक साल बरबाद हुआ,
दोस्त सभी पास हो गए।
हाथी मामा हाथ मले,
सब दोस्तों से पिछड़ गए।।
कान पकड़ कर फिर बोले,
अब गलती नहीं करूंगा।
माँ-बापू की बात सदा,
जीवन भर अब मानूंगा ।
✒ विनय कुमार बुद्ध
20 टिप्पणियाँ
Bahut hi majedar kavita..sir ji😄
जवाब देंहटाएंthank you dear
हटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंthank you so much
हटाएंBhud khud mama kabita sir jiii
जवाब देंहटाएंkoun hai Haathi mama.......?
हटाएंइस छोटे हाथी से भी ज्यादा हमलोग नटखट थे, पर आपके सहयोग और शिक्षा ने हम लोगों को एक जिम्मेदार और सभ्य इंसान बना दिया।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंSir bahut achhi kavita hai
जवाब देंहटाएंthank u
हटाएं(k)
जवाब देंहटाएं(k)
हटाएंHathi mama dur ke
जवाब देंहटाएंPury pakae gur ke
apana khae thali me
Munna ko dia pyali me
Munna gaya rush
Pyali gaya tut....🙏🙏
Hathi mama ka story
Bahut hi rochak, manmohak ,dristripark history se kam nahi h ...
Bahut hi sunder/mannmohak kavita h sir..🙏🙏🙏🙏🙏🙏
easy to understand by children.....very meaning full
जवाब देंहटाएंThanks to vinay sir
Ramjash saini
thank you
हटाएंकविता के माध्यम से बहुत ही अच्छी शिक्षा दी है,धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक बल कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपको, अपनी रोचक कविता लिखना जारी रखे l
बाल
जवाब देंहटाएंहमारे बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कविता... .बहुत ही सुन्दर सर
जवाब देंहटाएंdhanyawaad
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