हाथी मामा (Haathi Mama)

 (बाल कविता)

************

हाथी मामा अकड़ू थे,

अपनी मन की करते थे,

नानी जी समझाती पर,

नहीं किसी की सुनते थे।।


घर का खाना छोड़-छाड़,

उल्टा-पुल्टा खाते थे ।

हरी सब्जी, सलाद छोड़,

पिज्जा-बर्गर खाते थे ।।


देर रात तक जगकर वो,

बिस्तर पर हीं पढ़ते थे।

दिन चढ़ने तक वो सोते,

बड़ी देर से उठते थे ।।


समय परीक्षा का आया,

तबियत उनकी बिगड़ गई।

डॉक्टर ने दवा खिलाई,

फिर उनको सुई लग गई।।


एक साल बरबाद हुआ,

दोस्त सभी पास हो गए।

हाथी मामा हाथ मले,

सब दोस्तों से पिछड़ गए।।


कान पकड़ कर फिर बोले,

अब गलती नहीं करूंगा।

माँ-बापू की बात सदा,

जीवन भर अब मानूंगा ।

       ✒ विनय कुमार बुद्ध



एक टिप्पणी भेजें

20 टिप्पणियाँ

  1. इस छोटे हाथी से भी ज्यादा हमलोग नटखट थे, पर आपके सहयोग और शिक्षा ने हम लोगों को एक जिम्मेदार और सभ्य इंसान बना दिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. Hathi mama dur ke
    Pury pakae gur ke
    apana khae thali me
    Munna ko dia pyali me
    Munna gaya rush
    Pyali gaya tut....🙏🙏
    Hathi mama ka story
    Bahut hi rochak, manmohak ,dristripark history se kam nahi h ...
    Bahut hi sunder/mannmohak kavita h sir..🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. easy to understand by children.....very meaning full

    Thanks to vinay sir

    Ramjash saini

    जवाब देंहटाएं
  4. कविता के माध्यम से बहुत ही अच्छी शिक्षा दी है,धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही रोचक बल कविता
    धन्यवाद आपको, अपनी रोचक कविता लिखना जारी रखे l

    जवाब देंहटाएं
  6. हमारे बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कविता... .बहुत ही सुन्दर सर

    जवाब देंहटाएं
Emoji
(y)
:)
:(
hihi
:-)
:D
=D
:-d
;(
;-(
@-)
:P
:o
:>)
(o)
:p
(p)
:-s
(m)
8-)
:-t
:-b
b-(
:-#
=p~
x-)
(k)