भाषा है यह मेल की



हिन्दी भाषा प्यार से,

रखती सबको साथ ।

जन-जन तक पहुँचाइए,

चलो बढ़ायें हाथ ।।


'अ' अनपढ़ से शुरू करे,

'ज्ञ' से ज्ञानी बनाय ।

भारत माँ के भाल पे,

बिन्दी भांति सुहाय ।।


भाषा हर इक प्रान्त की,

हिन्दी बीच समाय ।

दिल की खिड़की खोल दो,

खुशबू सबकी आय ।।


भारत के हर भाग में,

हिन्दी बोली जाय ।

सरल-सुगम व्यवहार से,

जग में बढ़ती जाय ।।


कार्यालय में सब करें,

हिन्दी खूब प्रयोग ।

भाषा है यह मेल की,

मान गये सब लोग ।।

           ✒ विनय कुमार बुद्ध

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11 टिप्पणियाँ

  1. बिलकुल सही बात सर अपना हिन्दी भाषा है अनमोल!

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  2. बिलकुल सही बात सर अपना हिन्दी भाषा है अनमोल!

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  3. उत्तर
    1. थैंक यू, इसी तरह मेरी कविताओं को पढ़ते रहिये और अपना कीमती सुझाव देते रहिए

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