(दोहे)
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सूरज आया रथ लिए,
जिसमें घोड़े सात।
निशा भाग कर छुप गई,
देखो हुआ प्रभात।।
कलरव पंछी का सुनो,
मीठी उसकी तान।
खेतों पर अब चल दिए,
हल को लिए किसान।।
उठकर जागो नींद से,
लग जा अपने काम।
पूरा करना काम को,
करो तभी आराम।।
✒© विनय कुमार बुद्ध
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सूरज आया रथ लिए,
जिसमें घोड़े सात।
निशा भाग कर छुप गई,
देखो हुआ प्रभात।।
कलरव पंछी का सुनो,
मीठी उसकी तान।
खेतों पर अब चल दिए,
हल को लिए किसान।।
उठकर जागो नींद से,
लग जा अपने काम।
पूरा करना काम को,
करो तभी आराम।।
✒© विनय कुमार बुद्ध
7 टिप्पणियाँ
पहले काम फिर आराम। उत्तम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंविल्कुल
हटाएंMast
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंSir bahut hi mithi bol hai
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर जी, यू ही हिन्दी साहित्य को ऊँचाईयो पर ले जाते रहे।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार
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