प्रभात

  

  (दोहे)

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सूरज आया रथ लिए,

जिसमें घोड़े सात।

निशा भाग कर छुप गई,

देखो हुआ प्रभात।।


कलरव पंछी का सुनो,

मीठी उसकी तान।

खेतों पर अब चल दिए,

हल को लिए किसान।।


उठकर जागो नींद से,

लग जा अपने काम।

पूरा करना काम को,

करो तभी आराम।।

                     ✒© विनय कुमार बुद्ध



  

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