इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि (बिहार और असम)


इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि,

दोनों को नमन हम करते ।

इस माटी को लगा के माथे,

हम सबके भाग्य संवरते ।।

 

इक धरती भगवान बुद्ध की,

जहाँ  पे  मैंने जनम लिया ।

कामाख्या की धरा ये पावन,

जिसने मुझको करम दिया ।

 

कृपा अगर इनकी हो जाए,

जीवन नैय्या पार उतरते ।

इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि,

दोनों को नमन हम करते ।।

 

इक गंगा- सी पावन धरती,

दूजे ब्रह्मपुत्र की शान लिए ।

जब गीत भिखारी  के गूंजे,

तब सुधा-कंठ यशगान किए ।

 

छठ पावन मनभावन बिहू,

लोगों  में  उमंगे  भरते ।

इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि,

दोनों को नमन हम करते ।।

 

कांवर झील और भीम बांध,

राजगीर  की हवा  यहाँ ।

रमणीक धरा  काजीरंगा,

प्राणवायु मानस की जहाँ ।

 

दोनों  की बात निराली है,

जन-मन सब शांत विचरते ।

इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि,

दोनों को नमन हम करते ।।

 

वीर कुँवर और चिलाराय,

दोनों ही वीर महान  हैं ।

विद्यापति शंकरदेव जहाँ,

इस धरती के संतान हैं ।

 

गीत प्यार के लिख-लिखकर मैं,

सबको  करता  हूँ  नमस्ते ।

इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि,

दोनों को नमन हम करते ।।

         - विनय कुमार बुद्ध

 


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32 टिप्पणियाँ

  1. बिहार और असम का गुणगान आपने बड़े ही सरल स्वभाव के साथ किया है , सच में जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों ही महान हैं l 🙏🙏

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    1. आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ

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  2. दो कर्म भूमि के अति सुन्दर वर्णन
    धन्यवाद सर जो

    जवाब देंहटाएं
  3. इक जन्मभूमि इक कर्मभूमि,
    दोनों को नमन हम करते ।।
    👌👌Bahut khub sir,🙏🙏

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  4. Amazingly beautiful lines Sir.. You have the art to express what we all feel inside...🔥🔥

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्तर
    1. आपका आभारी हूँ, इसी तरह मेरी ब्लॉग का विचरण करते रहे और मैं एक से एक अच्छी रचनाओं से आपको रूबरू करवाता रहूंगा।

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  6. Bhut sunder line sir ji, Bhut acche se btaya h aapne janmbhumi aur karmbhumi ke baare me ��������

    जवाब देंहटाएं
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    1. धन्यवाद मित्र, आप ब्लॉग को शेयर कर दीजिएगा और फॉलो भी

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