नया है आने वाला।
देता हूँ मै आज बधाई,
साल हो खुशियों वाला।।
बढ़े मान और यश फैले,
जीवन अब खुशहाल हो।
मंगलमय अब आप सभी का,
आनेवाला साल हो।।
स्वागत करिए मिलकर सबजन,
लेकर फूल की माला ।
देता हूँ मैं आज बधाई,
साल हो खुशियों वाला।।
नव उमंग नव आशाओं का,
जन-मन में संचार हो।
छल और कपट का वास नहीं,
मन में उच्च विचार हो।।
दूर करो मन का अँधियारा,
जग में फैले उजाला।
देता हूँ मैं आज बधाई,
साल हो खुशियों वाला।।
मन में कोई मैल न रखना,
बीती बात विसार दो।
खुलकर सबका स्वागत करना,
अपनी बाँह पसार दो।।
देश-धर्म की बात सदा हो,
मस्जिद हो या शिवाला।
देता हूँ मैं आज बधाई,
साल हो खुशियों वाला।।
✒️ विनय कुमार बुद्ध
25 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर कविता सर जी!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
हटाएंबहुत अच्छा आप इसी तरह अपने कलम रुपी तलवार से समाज में फैले बुराइयों को नाश करते रहे हम पाठक गण हमेशा आप के साथ हैं|
जवाब देंहटाएंआपका शुभाशीष मिलता रहे, यही आशा है....💐💐
हटाएं🙏🙏 Happy new year sir G🙏🙏
जवाब देंहटाएंSame to you
हटाएंबहुत ही अच्छा कविता है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रियवर
हटाएंHappy New Year sir... Sundar kabita.. . Book publish kijiye sir
जवाब देंहटाएंJarur, jaldi hi publish karunga.
हटाएंBahut achi kavita sir ji...
जवाब देंहटाएंAasha karte hai ye naya sal apki kavita ki tarah hi ho..
Dhanyvad
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंAwesome poem sir and aap ko naba barsh ki hardik shubhkamnaye
जवाब देंहटाएंThank u
हटाएंHappy New year sir
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा कविता है
Happy New year sir
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा कविता है
धन्यवाद
हटाएंbhut hi sundar.......dear sir jii🙏
जवाब देंहटाएंhappy new year sir jii
हटाएंfrom- Ramjash saini
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना भैया।निस्सन्देह हमें आशावादी बनना चाहिए,निराशावादी बनना कोई श्रेष्ठ विकल्प नहीं माना जा सकता:-
जवाब देंहटाएंनिज बाहुबल पर है विश्वास,लक्ष्य साध संधान करो।
हे मनुज!कुछ नहीं सोचना ,अब शीघ्र ये विधान धरो।।
सदा नववर्ष मंगलमय हो, विचार मन में यही रखो।
हार जीत जो भी मिल जाए, समभाव रखकर ही चखो।।
वैर किसी से क्यों जी करना,सबको अपनाएं मन से।
सेवा मन से सबकी करना,नहीं कर सको यदि धन से।।
नववर्ष की मंगलकामनाएं
निज बाहुबल पर है विश्वास,लक्ष्य साध संधान करो।
हे मनुज!कुछ नहीं सोचना ,अब शीघ्र ये विधान धरो।।
सदा नववर्ष मंगलमय हो, विचार मन में यही रखो।
हार जीत जो भी मिल जाए, समभाव रखकर ही चखो।।
वैर किसी से क्यों जी करना,सबको अपनाएं मन से।
सेवा मन से सबकी करना,नहीं कर सको यदि धन से।।
नववर्ष की मंगलकामनाएं
वाह, आपकी रचना भी काबिले तारीफ है.
हटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏 उत्कृष्ट एवं सरल शब्दों में पिरोया गया यह कविता आपके कवि संवाद को और भी धार देती है।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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