जब भीड़ पड़ी भक्तों पर,
माँ दौड़ी आई है।
जग कल्याणी सुखदाई,
जगदम्बा माई है ।।
मैं अबोध बालक मैय्या,
तुम मेरी माता हो।
मैं दीन-हीन याचक हूँ,
तुम सबके दाता हो।
पावन है माँ की ममता,
उसकी परछाई है।
जग कल्याणी सुखदाई,
जगदम्बा माई है।।
जब पाप बढ़ी धरती पर,
जीना दुश्वार हुआ।
तब कष्ट दूर करने को,
माँ का अवतार हुआ।
दुखियों के दुख हर लेती,
भक्तन सुखदाई है।
जग कल्याणी सुखदाई,
जगदम्बा माई है ।।
हाथ जोड़कर सभी खड़े,
लगा रहे जयकारे।
जिसे आसरा मैय्या पर,
माता उन्हें उबारे।।
विनती झट से सुन लेती,
शुभ फलदाई है।
जग कल्याणी सुखदाई,
जगदम्बा माई है ।।
✒ विनय कुमार बुद्ध
16 टिप्पणियाँ
Such a nice poet sir
जवाब देंहटाएंthank you
हटाएंबहुत ही सुन्दर भक्ति कविता सर जी! माता रानी का कृपा बनी रहे हमलोगों पे!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंBhud khub sir
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार
हटाएंAwesome poem sir
जवाब देंहटाएंThank you so much dear
हटाएंमाँ जगदम्बा की कृपा सभी भक्तों पर सदैव बनी रहे।
जवाब देंहटाएंजय हो, विजय हो
हटाएंमाँ जगदम्बा की कृपा सभी भक्तों पर सदैव बनी रहे।
जवाब देंहटाएंजय माता दी
हटाएंBhut acchi poet h sir
जवाब देंहटाएंThank you so much
हटाएंBahut achcha likha hai sir ji
जवाब देंहटाएंजय जगदम्बा भवानी , माता रानी की कृपा हमेशा बनी रहे हम सबों पर l आपकी यह कविता जग जाहिर हो यही कामना हैं🙏🙏
जवाब देंहटाएं