विधा: दोहे
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मंगलमूर्ति गजानना,
सुखकर्ता गणनाथ ।
जग में उसका नाम हो,
तुम हो जिसके साथ ।।
शिव-गौरी के लाल जो,
लम्बोदर कहलाय ।
मन से जो पूजा करे,
भक्त वो बुद्धि पाय ।।
लड्डू जिसकोे प्रिय लगे,
गजानन एकदंत ।
सबपे हो तेरी कृपा,
तेरी कथा अनंत ।।
आज्ञा पालन मातु के,
दीन्हा शीश कटाय ।
वचन दिया जो मात को,
टूट नहीं वो पाय ।।
चरणों में माँ-बाप के,
बसते चारों धाम ।
दुनियां को यह सीख दी,
बारम्बार प्रणाम ।।
जग में तब से आपकी,
पहली पूजा होय ।
ले आपका नाम शुरू,
काज करे सब कोय ।।
विघ्नहर्ता तुम पर है,
भक्तन को विश्वास ।
बड़ी कृपा हो गर मिले,
शुभ चरणों में वास ।।
गणपति बप्पा मोरया,
गूंजे नभ में आज ।
मूषक पर आ बैठके,
मंगल कर सब काज ।।
✒ विनय कुमार बुध्द
12 टिप्पणियाँ
अतुसुन्दर दोहा है👍🙏🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी (k)
हटाएंBahut hi sundar..dharmik doha..👌
जवाब देंहटाएंcomment ke liye dhanyvaad
हटाएंईश्वर मे आस्था और खुद पर विश्वास हो जाने पर सफलता भी सुनिश्चित हो जाता है।
जवाब देंहटाएंवाह, खूबसूरत उद्गार, धन्यवाद
हटाएंबहुत ही अदभूत दोहा सर जी!
जवाब देंहटाएंआभार प्रियवर
हटाएं,🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं🙏🙏Ganpati baba Moriya🙏🙏
जवाब देंहटाएंGanpati bappa moraya
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