कोटि-कोटि कंठ आज एक साथ गाइए ।
देशभक्ति गीत आज शान से सुनाइए ।।
जाग-जाग आँख खोल माँ तुझे पुकारती ।
तीन रंग वस्त्र से सजी है मात भारती ।।
देशप्रेम भाव रक्त-रक्त में उबाल हो।
मातृ प्रेम गौण क्यों सटीक ये सवाल हो ।।
शब्द-शब्द आज चीख-चीख के जगा रही।
देख न्याय-धर्म की ध्वजा तुझे बुला रही ।।
प्रीत-रीत छोड़ आज ले त्रिशूल वार हो ।
बातचीत छोड़-छाड़ आज आर-पार हो ।।
रौद्र रूप ले शिवा नमो नमो हे शंकरा ।
राम-कृष्ण तीर तान एक साथ आ धरा ।।
थाम लो कटार तू झुको नहीं रुको नहीं ।
फिक्र मौत की नहीं डटे रहो हटो नहीं ।।
अंग-अंग खंड-खंड पाक-चीन साथ हो ।
रक्त-बीज नाश हो कृपाण हाथ-हाथ हो ।।
✒© विनय कुमार बुद्ध
8 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुंदर देश भक्ति गीत सर जी
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार
हटाएं👌👌👌
जवाब देंहटाएंथैंक यू
हटाएंBhut hi acchi line h 🙏🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंVery nice sir. ...
जवाब देंहटाएंthank you so much
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