आज आर-पार हो

कोटि-कोटि कंठ आज एक साथ गाइए ।

देशभक्ति गीत आज शान से सुनाइए ।।


जाग-जाग आँख खोल माँ तुझे पुकारती । 

तीन रंग वस्त्र से सजी है मात भारती ।।


देशप्रेम भाव रक्त-रक्त में उबाल हो।

मातृ प्रेम गौण क्यों सटीक ये सवाल हो ।।


शब्द-शब्द आज चीख-चीख के जगा रही।

देख न्याय-धर्म की ध्वजा  तुझे बुला रही ।।


प्रीत-रीत छोड़ आज ले त्रिशूल वार हो ।

बातचीत छोड़-छाड़ आज आर-पार हो ।।


रौद्र रूप ले शिवा नमो नमो हे शंकरा । 

राम-कृष्ण तीर तान एक साथ आ धरा ।।


थाम लो कटार तू झुको नहीं रुको नहीं ।

फिक्र मौत की नहीं डटे रहो हटो नहीं ।।


अंग-अंग खंड-खंड पाक-चीन साथ हो । 

रक्त-बीज नाश हो कृपाण हाथ-हाथ हो ।।

✒© विनय कुमार बुद्ध

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