करो न कन्यादान ।
निज होती है बेटियाँ,
इसको अपना मान ।।
रूढ़िवाद को तोड़ के,
बात कहूं इस बार ।
जब तुम संकट में पड़ो,
खुला बाप का द्वार ।।
सोना उसे भले न दो,
दिल में दो फौलाद ।
हर संकट में साथ दो,
वह भी तो औलाद ।।
बेटा गर कुल दीप है,
बेटी कुल का मान ।
दोनों एक समान हैं,
फर्क न कोई जान ।।
नौ-कन्या को पूज कर,
ढोंग करे इंसान ।
फिर कल बेटी का वही,
करता है अपमान ।।
✒ विनय कुमार बुद्ध, न्यू बंगाईगांव (असम),
फ़ोन 9435913108
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