(धारा-प्रवाह कविता)
मैं भारत की चल रेखा हूँ।
मैं इसकी जीवन रेखा हूँ।
मैं सेवा-भाव समर्पण हूँ।
मैं प्रिय भारत का दर्पण हूँ।
मैं ईद बैसाखी होली हूँ।
मैं जन-गण-मन की बोली हूँ।
मैं हर मजहब हर बोली हूँ।
मैं भारत की रंगोली हूँ।
मैं एक भागती गोली हूँ।
मैं एक समर्पित टोली हूँ।
मैं पूरब की पुरवाई हूँ।
मैं पश्चिम की परछाईं हूँ।
मैं उत्तर की तरूणाई हूँ।
मैं दक्षिण की सुघराई हूँ।
मैं प्यार बांटते आई हूँ।
मैं मंगल गीत बधाई हूँ।
मैं उन्नति की परिभाषा हूँ।
मैं रोजगार की आशा हूँ।
मैं युद्ध-काल की सेवा हूँ।
मैं शांति-काल की मेवा हूँ।
मैं पर्वत-सी ऊंचाई हूँ।
मैं नदियों की गहराई हूँ।
मैं मैदानों की रानी हूँ।
मैं गांव-शहर की पानी हूँ।
मैं वादी की हरियाली हूँ।
मैं झरना सी मतवाली हूँ।
मैं नहीं ठहरने वाली हूँ।
मैं और निखरने वाली हूँ।
मैं ढोता राम हनुमान हूँ।
मैं ही गीता मैं कुरान हूँ।
मैं सबकुछ ढोने वाली हूँ।
मैं प्रेम को बोने वाली हूँ।
मैं दूरी को सिमटाती हूँ।
मैं आपस में मिलवाती हूँ।
मैं हवा से बातें करती हूँ।
मैं हिरणी-सी पग भरती हूँ।
मैं संस्कृति का संवाहक हूँ।
मैं निज ग्राहक सुखकारक हूँ।
मैं कमाख्या मैं देवघर हूँ।
मैं अजमेर मैं अमृतसर हूँ।
मैं माला वाली धागा हूँ।
मैं भारत-स्वर्ण सुहागा हूँ।
मैं भारत की चल रेखा हूँ।
मैं इसकी जीवन रेखा हूँ।
✒© विनय कुमार बुद्ध
18 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुंदर कविता सर !सर मैं आपकी लेखन कला का अदभूत फैन हो गया हूं सर!
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबहुत ही सुंदर कविता सर !सर मैं आपकी लेखन कला का अदभूत फैन हो गया हूं सर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता सर !सर मैं आपकी लेखन कला का अदभूत फैन हो गया हूं सर!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंआपलोगों के इसी उद्गार से मुझे संबल मिलती है। मैं प्रेरित होकर और अच्छा लिखने का प्रयास करता हूँ। हृदयतल से आभार...💐💐
हटाएंBhut hi manmohak poet h sir🙏
जवाब देंहटाएंDhanyvad
हटाएंNice poetry Sir... it's proud to be a part this great organization under your guidance!!!
जवाब देंहटाएंThanks a lot dear. Be honest and work hard.
हटाएंबहुत खुब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएं👌
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंSir aapka kabira porhkar bohut aacha lagta hain. . .
जवाब देंहटाएंThank you so much
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार
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